उसने पुछा तुम मेरे क्या हो?
उसने पुछा
तुम मेरे क्या हो?
मैंने कहा
यह बताना जरूरी नही समझता
.
उसने पुछा
खुशी किसे कहते हो?
हंसकर मैंने कहा
तुम्हें और किसे
.
उसने पुछा
उदासी अच्छी लगती है?
मैंने कहा
हां खुद की
मगर तुम्हारी नही
.
उसने पुछा
डर लगता है कभी?
मैंने कहा
ख्वाब नहीं देखता मैं
.
उसने पुछा
मुझमें क्या पसंद है
मैंने कहा
जो दुनियां को नापसंद है
.
उसने पुछा
क्या चीज बिना सोचकर करते हो
मैंने कहा
तुम पर विश्वास
.
उसने पुछा
क्या चीज को लेकर निश्चित हो
मैंने कहा
तुम्हें एक दिन खोना है
.
उसने पुछा
जिंदगी को कैसे देखते हो?
मैने कहा
तुम्हारी आंखो से
.
उसने कहा
कोई ख्वाइस बताओ अपनी
मैंने कहा
एक नही तीन ख्वाइशें है
खुलकर हंसा करो
अकेले मत रहा करो
और
कभी कभी बात करते रहा करो.
तुम मेरे क्या हो?
मैंने कहा
यह बताना जरूरी नही समझता
.
उसने पुछा
खुशी किसे कहते हो?
हंसकर मैंने कहा
तुम्हें और किसे
.
उसने पुछा
उदासी अच्छी लगती है?
मैंने कहा
हां खुद की
मगर तुम्हारी नही
.
उसने पुछा
डर लगता है कभी?
मैंने कहा
ख्वाब नहीं देखता मैं
.
उसने पुछा
मुझमें क्या पसंद है
मैंने कहा
जो दुनियां को नापसंद है
.
उसने पुछा
क्या चीज बिना सोचकर करते हो
मैंने कहा
तुम पर विश्वास
.
उसने पुछा
क्या चीज को लेकर निश्चित हो
मैंने कहा
तुम्हें एक दिन खोना है
.
उसने पुछा
जिंदगी को कैसे देखते हो?
मैने कहा
तुम्हारी आंखो से
.
उसने कहा
कोई ख्वाइस बताओ अपनी
मैंने कहा
एक नही तीन ख्वाइशें है
खुलकर हंसा करो
अकेले मत रहा करो
और
कभी कभी बात करते रहा करो.
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